
कविताएं

मुश्किल होता है ‘लौटना’
जीतने की जिद लग जाए तो मुश्किल होता है लौटना जीतने की जिद लग जाए तो मुश्किल होता है लौटनाअपना जो रूठ कर जाए तो मुश्किल होता है लौटनायूं तो महफिलों में मुस्कुरा लेते हैं हजार दफा, मगरआंखों से निकल जाए आंसू तो मुश्किल होता है लौटना मंजिल की तलाश में शख्स निकल गए जो…

प्यास बुझती नहीं, पेट भर जाता है
प्यास बुझती नहीं,रह जाती हैपेट भर जाता हैफिर हमदोबाराप्यासे होनेका इंतज़ारकरते हैंफिरप्यास लगती हैफिरहम पानीपीते हैंपर प्यासकभीनहीं बुझतीहमेशा पेटभर जाता है -अभिषेक गुप्ता

अलग करते हैं
ये हिंदू को मुसलमान से अलग करते हैंये सिख को ईसाई से अलग करते हैंइन सत्ता के लोभियों का काम है तोड़नाअसल में ये भाई को भाई से अलग करते हैं पहले तो करते हैं वादे रोज़गार केमौके पर बकरे को कसाई से अलग करते हैंयूँ तो पाक दामन होने के दावे करते हैं हज़ारअसल…

चुनाव आते ही आ जाते हैं नेता जी
चुनाव आते ही दरवाजों पर आ जाते हैंकट्टरता के पुजारी भी रहम खा जाते हैंऔरों को हिन्दू-मुस्लमान का पाठ पढ़ाखुद मजहबी टोपी पहना जानते हैं यूँ तो सरेआम फैलाते हैं नफरतबटोगे तो कटोगे का नारा हमें दे जाते हैंबात जब खुद की कुर्सी पर आ जाये तो,झुकाकर सर, कलमा भी पढ़ा जाते हैं सालों साल…

जंग जो लड़नी है, जाँबाज़ होना होगा
सूखे दरख्तों को अब हरा होना होगाडूबती कश्ती को किनारे खड़ा होना होगा छोड़ो ये डर ये बुज़दिली ये दर्द में रहनाजंग जो लड़नी है तो जाँबाज़ होना होगा वक़्त है ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदलने कानाज़ुक कलाई कमज़ोर कंधों को मजबूत होना होगा कर लिया इंतिज़ार अँधेरे के हटने काअब सितारों को रौशनी में…

गहरी बातें गहरे लोग
गहरी बातें, गहरे लोगअंधेरी रातें, ठहरे लोग झुकी निगाहें देखें चरों ओरसहमी सी सांसें, मचाएं शोर बताओ अब रहा नकिसी का किसी पर जोर हम क्या खाक मचाएं शोरजब अपने ही निकले काले चोर

उनसे जुदा हुए हम
उनसे जुदा हुए हम इन्ही गलियों में हम पले बढ़ेयहीं हम सब का ठिकाना थाजानें कब गुजर गए वो खूबसूरत पलजो बीत गया वो बचपन सुहाना था बहुत कुछ सीखा है यहां सेअब औरों को सिखाना हैउठा सकें सब सिर गर्व से अपनाऐसा कुछ करके दिखाना है बिछड़ना तो लाज़िम है हम सब परअब की…

अधूरी दास्तान
अधूरी दास्तान, मोहब्बत की सुनो गर जो कभी तुम्हे खुद से नफ़रत होने लगेतो मेरी मोहब्बत याद कर लेनागर जो कभी खुद की गलतियों पे नदामत होने लगेतो मेरी मोहब्बत याद कर लेना माना कि मुश्किल होगा ये सफर हमारा तुम्हारे बिनापर तुम कभी मुझपर तरस खा कर वापस नहीं आनाहो सकता है अब कभी…

तुम आओगी क्या ?
तुम आओगी क्या ? जब कभी आवाज़ दूंगा, तुम आओगी क्यागिर गया जो अपनी निगाहों में,तुम उठाओगी क्यासीख जाऊंगा मैं सारा फ़लसफ़ातुम अदब-ओ-एहतराम से मुझे सिखाओगी क्या कर लूं मैं यकीन तुम्हें अपना अक्स मान करदे दूं सारा हक़ तुम्हें,ज़िम्मेदारी से निभा पाओगी क्याहोगी जब जरूरत मेरी रहूंगा साए सा साथ तुम्हारेतुम मेरी ज़रूरत में…

रंगों से पहचान
रंगों से तुम हमारी पहचान करते होलाल से हिंदू हरे से मुसलमान करते हो हम हैं एक,एक है रंग खून का,फिर क्यूफैला कर नफ़रत यूं सरे आम करते हो पसंद है सबको सुकून-ए-क़ल्ब,तो क्योंनन्हें परिंदो को यूं बे-जान करते हो माना है मज़हब अलग,पर खुदा एक हैफिर क्यों मज़हब पर कत्ल-ए-आम करते हो फैला कर…