उनसे जुदा हुए हम
इन्ही गलियों में हम पले बढ़े
यहीं हम सब का ठिकाना था
जानें कब गुजर गए वो खूबसूरत पल
जो बीत गया वो बचपन सुहाना था
बहुत कुछ सीखा है यहां से
अब औरों को सिखाना है
उठा सकें सब सिर गर्व से अपना
ऐसा कुछ करके दिखाना है
बिछड़ना तो लाज़िम है हम सब पर
अब की जो बिछड़े तो जानें कब मिलेंगे
गर जो मिल भी गए तो खुदा जानें,
सब एक साथ फिर कब मिलेंगे
मिलेगी मंज़िल सबको एक रोज़
लक्ष्य अपना हर किसी को पाना है
उठा सकें सब सिर गर्व से अपना
ऐसा कुछ करके दिखाना है
✍🏻 मोहम्मद इरफ़ान